उमर अब्दुल्ला ने बिजली कटौती पर बात करते हुए कहा कि, 'इस पाक महीने (रमजान) में सहरी का वक्त होता है, इफ्तारी का वक्त होता है ये वक्त हमारे लिए बहुत जरूरी होता है. मुझे याद है अब तक की सरकारों की कोशिश रही है कि इस दौरान बिजली की कटौती ना हो या कम से कम हो. लेकिन ये पहली बार है जब मैं और जनता महसूस कर रही है कि बिजली कटौती जानबूझकर हो रही है. इसमें दो चीज़े हो सकती है या तो लापरवाही कह सकते हैं या ये जानबूज के किया जा रहा है. अब्दुल्ला ने आगे कहा कि जब ये मुद्दा गर्माया और लोग बढ़ चढ़कर इस मुद्दे पर बात करने लगे तो 2 दिन में हालात ठीक हो गए. ये कैसे हुआ?
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