ज्ञानवापी मामले में एम एम कश्यप नाम के वकील ने नई याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा है कि 1993, 1995 और 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने काशी और मथुरा को लेकर 3 आदेश दिए थे. इन आदेशों में दोनों जगह पर मौजूद वर्तमान मंदिर और मस्जिद की यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया था. अब काशी में जो कुछ भी हो रहा है, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है.
एम एम कश्यप ने बताया है कि 90 के दशक में यह तीनों आदेश अयोध्या मामले में पक्षकार रहे असलम भूरे की याचिका पर आए थे. याचिकाकर्ता ने तब अयोध्या की तरह काशी और मथुरा में भी धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका जताई थी. तब कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्ज़िद की यथास्थिति बनाए रखने को कहा था. यही आदेश मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्ज़िद के लिए भी दिया गया था.
मामले में नई याचिका दाखिल करने वाले कश्यप पुराने मामलों में असलम भूरे के वकील थे. भूरे की 2010 में मृत्यु हो चुकी है. ऐसे में वकील ने खुद याचिका दाखिल कर कोर्ट को पुराने आदेश की जानकारी दी है. एम एम कश्यप ने आज ज्ञानवापी मामला सुन रहे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ से अनुरोध किया कि शुक्रवार को मुख्य मामले के साथ उन्हें भी सुना जाए. इस पर जज ने उन्हें बताया कि इस तरह सीधे मामला नहीं सुना जा सकता है. वह पहले चीफ जस्टिस से मामले को सुनवाई के लिए उचित बेंच में भेजने का अनुरोध करें.
एम एम कश्यप ने बताया है कि 90 के दशक में यह तीनों आदेश अयोध्या मामले में पक्षकार रहे असलम भूरे की याचिका पर आए थे. याचिकाकर्ता ने तब अयोध्या की तरह काशी और मथुरा में भी धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका जताई थी. तब कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्ज़िद की यथास्थिति बनाए रखने को कहा था. यही आदेश मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्ज़िद के लिए भी दिया गया था.
मामले में नई याचिका दाखिल करने वाले कश्यप पुराने मामलों में असलम भूरे के वकील थे. भूरे की 2010 में मृत्यु हो चुकी है. ऐसे में वकील ने खुद याचिका दाखिल कर कोर्ट को पुराने आदेश की जानकारी दी है. एम एम कश्यप ने आज ज्ञानवापी मामला सुन रहे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ से अनुरोध किया कि शुक्रवार को मुख्य मामले के साथ उन्हें भी सुना जाए. इस पर जज ने उन्हें बताया कि इस तरह सीधे मामला नहीं सुना जा सकता है. वह पहले चीफ जस्टिस से मामले को सुनवाई के लिए उचित बेंच में भेजने का अनुरोध करें.
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