कोरोना वायरस के मामले अभी कम हो ही रहे थे कि जीका वायरस ने जीना मुश्किल कर दिया है. इन दिनों भारत के कई राज्यों से जीका वायरस के मामले सामने आ रहे हैं. इस मौके पर आइये जानते हैं कि जीका वायरस और इसके लक्षण क्या है, इसे फैलने से कैसे रोका जा सकता है? दरअसल मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के उलट यह बीमारी एडीज मच्छर से फैलती है. ये मच्छर दिन के समय ज्यादा एक्टिव रहते हैं. एडीज की कई प्रजातियां जीका संचारित कर सकती हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार जीका वायरस को पहली बार सन 1947 में युगांडा के बंदरों में पहचाना गया था. लेकिन इसके अफ्रीका, एशिया के देशों सहित कई अन्य जगहों पर भी इससे काफी ज्यादा लोग प्रभावित हुए.
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस के शुरूआती लक्षण हल्के होते हैं. बुखार, रेशेज, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण शामिल हैं, जीका वायरस होने की वजह से अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता है. गर्भवती महिलाएं जीका वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा आती हैं. जीका वायरस गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में जा सकता है, जिससे अजन्मे बच्चे में मास्तिष्क दोष पैदा हो सकता है, जिसे माइक्रोसेफेली के रूप में जाना जाता है. इसमें नवजात शिशु का मास्तिष्क और सिर सामान्य से आकार में छोटा हो सकता है. हालंकि लक्षणों का अनुभव करने वाली गर्भवती महिलाओं को ब्लड या यूरीन टेस्ट के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि इस तरह की स्थिति से बचा सके. कई रेपिड डिटेक्शन टेस्ट भी उपलब्ध हैं. ये टेस्ट संक्रमण की पुष्टि कर सकते हैं.
जीका वायरस के फैलने के कारण
सबसे ज्यादा रिस्क ऐसी जगहों पर जाना है, जहां जीका मौजूद है. मुख्य रूप से यह मच्छरों के काटने से फैलता है, लेकिन कभी-कभी एक गर्भवती महिला से उसके भ्रूण तक, यौन संपर्क के जरिए और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए भी यह फैल सकता है. फिलहाल जीका का कोई इलाज नहीं है. लेकिन इसके लक्षण दिखने वाले व्यक्ति को आराम और डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है.
जीका वायरस से बचने का तरीका
जीका संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है- मच्छरों के काटने से बचना, मच्छरों को बढ़ने से रोकना, सुरक्षित यौन संबंध बनाना. फुल स्लीव्स के कपड़े पहनना, कीट निवारक का इस्तेमाल करना, बिस्तर में मच्छरदानी लगाना आदि. इन सब तरीकों से जीका वायरस से बचा जा सकता है.
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जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस के शुरूआती लक्षण हल्के होते हैं. बुखार, रेशेज, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण शामिल हैं, जीका वायरस होने की वजह से अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता है. गर्भवती महिलाएं जीका वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा आती हैं. जीका वायरस गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में जा सकता है, जिससे अजन्मे बच्चे में मास्तिष्क दोष पैदा हो सकता है, जिसे माइक्रोसेफेली के रूप में जाना जाता है. इसमें नवजात शिशु का मास्तिष्क और सिर सामान्य से आकार में छोटा हो सकता है. हालंकि लक्षणों का अनुभव करने वाली गर्भवती महिलाओं को ब्लड या यूरीन टेस्ट के लिए डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि इस तरह की स्थिति से बचा सके. कई रेपिड डिटेक्शन टेस्ट भी उपलब्ध हैं. ये टेस्ट संक्रमण की पुष्टि कर सकते हैं.
जीका वायरस के फैलने के कारण
सबसे ज्यादा रिस्क ऐसी जगहों पर जाना है, जहां जीका मौजूद है. मुख्य रूप से यह मच्छरों के काटने से फैलता है, लेकिन कभी-कभी एक गर्भवती महिला से उसके भ्रूण तक, यौन संपर्क के जरिए और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए भी यह फैल सकता है. फिलहाल जीका का कोई इलाज नहीं है. लेकिन इसके लक्षण दिखने वाले व्यक्ति को आराम और डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है.
जीका वायरस से बचने का तरीका
जीका संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है- मच्छरों के काटने से बचना, मच्छरों को बढ़ने से रोकना, सुरक्षित यौन संबंध बनाना. फुल स्लीव्स के कपड़े पहनना, कीट निवारक का इस्तेमाल करना, बिस्तर में मच्छरदानी लगाना आदि. इन सब तरीकों से जीका वायरस से बचा जा सकता है.
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