जनवरी से मई के बीच कोल इंडिया जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा उत्पादन करती हैं. उस दौरान देश में कोरोना का दूसरी लहर चल रही थी. जब हालात में सुधार हुआ, आर्थिक इंजन ने रफ्तार पकड़ी, उस वक्त बारिश हो गई. झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश में सितंबर तक बारिश हुई, जिससे कोयला ढुलाई का काम और भी ज्यादा मुश्किल हो गया. भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 384 गीगा वॉट है. इस उत्पादन क्षमता का 52 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों से आता है.
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़े बताते हैं कि भारत अपनी जरूरत के 90 फीसदी से अधिक कोयला की आपूर्ति देश से ही करता है. भारत जरूरत के हिसाब से इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया से कोयले का आयात करता है. कोरोना काल में बिजली मांग में भी तेजी आई. चीन ने अपनी चाल चली और देश में भी कोरोना और बारिश की वजह से देश में कोयला की कमी हो गई.
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केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़े बताते हैं कि भारत अपनी जरूरत के 90 फीसदी से अधिक कोयला की आपूर्ति देश से ही करता है. भारत जरूरत के हिसाब से इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया से कोयले का आयात करता है. कोरोना काल में बिजली मांग में भी तेजी आई. चीन ने अपनी चाल चली और देश में भी कोरोना और बारिश की वजह से देश में कोयला की कमी हो गई.
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