Narendra Giri को अनपढ़ बताने में किसका फायदा? | ICH | America में कैसे घिरेगा China? | ABP
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Narendra Giri Death Case: प्रयागराज के चर्चित बाघम्बरी गद्दी पीठ के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और कभी उनके प्रिय शिष्य रहे आनंद गिरि के बीच आखिर क्या विवाद था? क्या दोनों गुरु-शिष्य के बीच संपत्ति को लेकर विवाद था? अगर हां तो किस संपत्ति को लेकर विवाद था और क्या विवाद था? इसकी पड़ताल एबीपी न्यूज़ ने की है. महंत नरेंद्र गिरि जिस मठ के मुखिया थे, वो करोड़ों नहीं बल्कि अरबों की संपति वाली पीठ है. जिस जगह बाबा नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की, उस के आसपास की जमीन को लेकर दोनों में अनबन थी. ये अनबन भी काफी पुरानी थी जो हाल में गहरा गई.
दसअसल, बाघम्बरी गद्दी पीठ पहले जर्जर अवस्था में थी. जिसका जीर्णोद्धार नरेंद्र गिरि कराना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने पीठ की कुछ जमीन बेचने का फैसला किया. इसी खरीद-बिक्री को लेकर पहले दोनों में सहमति नहीं बन पाई थी. आनंद गिरि जमीन बेचने के फैसले के खिलाफ थे लेकिन महंत नरेंद्र गिरि आश्रम के विकास के लिए जमीन बेचना चाहते थे. पीठ के मुख्य द्वार के दक्षिण दिशा में सबसे पहले सबसे किनारे की जमीन बेची गई. एक मिठाई की दुकान के बगल में वो भाग मौजूद है, जिसको महंत नरेंद्र गिरि ने एसके मिश्रा और सूर्य मणि त्रिपाठी को बेच दिया. ये बात साल 2011-12 के बीच की है. एसके मिश्रा और सूर्य मणि त्रिपाठी ने जमीन की प्लॉटिंग करके अलग-अलग लोगों को बेच दी, जिस पर आज मकान बने हुए हैं.
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Narendra Giri Death Case: प्रयागराज के चर्चित बाघम्बरी गद्दी पीठ के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और कभी उनके प्रिय शिष्य रहे आनंद गिरि के बीच आखिर क्या विवाद था? क्या दोनों गुरु-शिष्य के बीच संपत्ति को लेकर विवाद था? अगर हां तो किस संपत्ति को लेकर विवाद था और क्या विवाद था? इसकी पड़ताल एबीपी न्यूज़ ने की है. महंत नरेंद्र गिरि जिस मठ के मुखिया थे, वो करोड़ों नहीं बल्कि अरबों की संपति वाली पीठ है. जिस जगह बाबा नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की, उस के आसपास की जमीन को लेकर दोनों में अनबन थी. ये अनबन भी काफी पुरानी थी जो हाल में गहरा गई.
दसअसल, बाघम्बरी गद्दी पीठ पहले जर्जर अवस्था में थी. जिसका जीर्णोद्धार नरेंद्र गिरि कराना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने पीठ की कुछ जमीन बेचने का फैसला किया. इसी खरीद-बिक्री को लेकर पहले दोनों में सहमति नहीं बन पाई थी. आनंद गिरि जमीन बेचने के फैसले के खिलाफ थे लेकिन महंत नरेंद्र गिरि आश्रम के विकास के लिए जमीन बेचना चाहते थे. पीठ के मुख्य द्वार के दक्षिण दिशा में सबसे पहले सबसे किनारे की जमीन बेची गई. एक मिठाई की दुकान के बगल में वो भाग मौजूद है, जिसको महंत नरेंद्र गिरि ने एसके मिश्रा और सूर्य मणि त्रिपाठी को बेच दिया. ये बात साल 2011-12 के बीच की है. एसके मिश्रा और सूर्य मणि त्रिपाठी ने जमीन की प्लॉटिंग करके अलग-अलग लोगों को बेच दी, जिस पर आज मकान बने हुए हैं.
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