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Coronavirus India Update: IMPORTANT UPDATE on Third Wave of COVID-19 #Shorts

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देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर काफी हद तक कम हो गया है, हालांकि संभावित तीसरी लहर की आशंका अब तक बनी हुई है. दुनिया के कई देशों में तीसरी लहर का कहर शुरू हो चुका है. इन सबके बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में कोविड की पहली दो लहरों की तुलना में उतनी ही तीव्रता वाली तीसरी लहर आने की आशंका नहीं है. उन्होंने कहा कि इस समय संक्रमण के मामलों में इजाफा नहीं होना दर्शाता है कि टीके अब भी वायरस से सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं और फिलहाल तीसरी बूस्टर खुराक की कोई जरूरत नहीं है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव की लिखी पुस्तक ‘गोइंग वायरल: मेकिंग ऑफ कोवैक्सीन-द इनसाइड स्टोरी’ के विमोचन पर गुलेरिया ने ये बातें कहीं. गुलेरिया ने कहा कि जिस तरह से टीके संक्रमण की गंभीरता को रोकने और अस्पतालों में भर्ती होने की स्थिति से बचाने के मामले में कारगर हो रहे हैं, अस्पतालों में बड़ी संख्या में लोगों के भर्ती होने समेत किसी बड़ी लहर की संभावना हर दिन क्षीण हो रही है.


कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए भारत में बनाई गई कोवैक्सिन (Covaxin) को लेकर एक और ताजा शोध सामने आया है. इसमें कोरोना वायरस (Covid 19) के खतरनाक डेल्‍टा वेरिएंट (Delta Variant) के खिलाफ इसकी प्रभाविकता 50 फीसदी बताई गई है. द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित कोविड 19 वैक्‍सीन (Corona Vaccine) कोवैक्सिन की पहली रियल वर्ल्‍ड रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसकी दो डोज कोरोना के डेल्‍टा वेरिएंट के खिलाफ 50 फीसदी तक प्रभावी है.

द लैंसेट में हाल ही में प्रकाशित एक अंतरिम अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि कोवैक्सिन की दो डोज में बीमारी के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभाविकता थी. साथ ही सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर चिंता की बात भी नहीं है. शोध में दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) के उन 2714 अस्‍पतालकर्मियों पर 15 अप्रैल से 15 मई के बीच शोध किया गया, जो लक्षण वाले थे और कोविड 19 का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्‍ट करा चुके थे. शोधकर्ताओं ने इस बात को भी ध्‍यान में रखा कि जिस दौरान यह शोध किया गया था, उस दौरान डेल्‍टा वेरिएंट भारत में सर्वाधिक फैला हुआ कोरोना वेरिएंट था. कुल पता चले कोरोना केसों में इसकी हिस्‍सेदारी 80 फीसदी थी.

प्रमुख खाद्य कंपनी पारले प्रोडक्ट्स (Parle Products) ने उत्पादन लागत में हुई वृद्धि की वजह से अपने उत्पादों की सभी श्रेणियों में कीमतों को पांच से 10 प्रतिशत बढ़ा दिया है. कंपनी के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चीनी, गेहूं और खाद्य तेल जैसे कच्चे माल की कीमतों में तेजी के चलते कंपनी को अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े हैं.

10 फीसदी तक कीमतें बढ़ाईं
कंपनी का सबसे लोकप्रिय ग्लूकोज बिस्कुट पारले जी अब 6-7 प्रतिशत महंगा हो गया है. इसके साथ ही, कंपनी ने रस्क और केक खंड में कीमतों को क्रमशः 5-10 प्रतिशत और 7-8 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. बता दें कि बिस्कुट सेगमेंट में पारले के उत्पादों में पारले जी, हाइड एंड सीक और क्रैकजैक जैसे लोकप्रिय ब्रांड शामिल हैं.

पैकेट पर नहीं बदलेगी कीमत, घटेगा वजन
पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा, ‘‘हमने कीमतों में 5-10 प्रतिशत की वृद्धि की है.’’ उन्होंने कहा कि 'कंपनी ने 20 रुपये या अधिक मूल्य के बिस्कुट और अन्य उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं. वहीं, कीमतों को आकर्षक स्तर पर बनाए रखने के लिए पैकेट के ‘ग्राम’ में कटौती की है.'


पारले ने अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें क्यों बढ़ाईं?
उन्होंने कहा, "उत्पादन लागत पर मुद्रास्फीति के दबाव पर विचार करने के बाद यह किया गया है, जिसका हम सामना कर रहे हैं. ज्यादातर कंपनियां इसका सामना कर रही हैं." उन्होंने कहा कि कंपनी मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रही है क्योंकि खाद्य तेल जैसी इनपुट मटेरियल की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 50-60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.













केंद्र सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए एक ही बिल लोकसभा में पेश करेगी. इस बिल का नाम Farm Laws Repeal Bill 2021 होगा. बिल को कल कैबिनेट की मंज़ूरी मिल सकती है और शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन यानि 29 नवंबर को लोकसभा में इसे पेश किए जाने की संभावना है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को विवादित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी. इन तीनों ही कानूनों के विरोध में किसान एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं और कानून की वापसी के साथ-साथ एमएसपी पर कानून बनानी की मांग कर रहे हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलान के बाद भी किसान संगठनों का कहना है कि जब तक तीनों ही कानूनों को संसद से रद्द नहीं किया जाता है और एमएसपी पर कानून नहीं बनाया जाता है हम आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. इसके अलावा भी कई और मांगें किसान संगठनों ने सरकार के सामने रखी है.


पीएम मोदी ने 19 नवंबर को देश के नाम संबोधन में कहा था, ''इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.’’ पीएम ने कहा, ''मैं देशवासियों से माफी मांगते हुए सच्‍चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्‍या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्‍य खुद किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए.''
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Asia
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