महाराष्ट्र (Maharashtra) में पिछले काफी दिनों से बगावत के सुर जोर-जोर से लगाए जा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि शिवसेना (Shivsena) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने भी मान लिया है कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की मजबूती उनकी मजबूरी बनी हुई है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय राउत शिंदे के खिलाफ मुखर नहीं हुए, थोड़ा सॉफ्ट कॉर्नर बनाए रखा. सामना में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे और 40 विधायकों की बगावत का मतलब भूकंप नहीं है. ऐसे कई झटकों से गुजरने के बाद भी शिवसेना का अस्तित्व बरकरार रहा है.
सामना में कहा गया कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनने की लालसा थी तो वो शिवसेना में रहकर भी पूरी हो सकती थी. वे निश्ति तौर पर इस सरकार में भी मुख्यमंत्री बन सकते थे. एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ खुली बगावत की और उन्हें शिवसेना के 40 विधायकों का समर्थन मिला. नारायण राणे व छगन भुजबल को भी उनकी बगावत के समय विधायकों का इतना समर्थन नहीं मिला था.
सामना में कहा गया कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनने की लालसा थी तो वो शिवसेना में रहकर भी पूरी हो सकती थी. वे निश्ति तौर पर इस सरकार में भी मुख्यमंत्री बन सकते थे. एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ खुली बगावत की और उन्हें शिवसेना के 40 विधायकों का समर्थन मिला. नारायण राणे व छगन भुजबल को भी उनकी बगावत के समय विधायकों का इतना समर्थन नहीं मिला था.
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