मध्यप्रदेश के औद्योगिक शहर इंदौर में एक ऐसा गैराज है जहां दो पहिया वाहनों की रिपेयरिंग का काम पुरुष नही बल्कि महिलाएं करती है। यहां महिलाएं न सिर्फ दोपहिया वाहन के इंजिन को खोलकर पिस्टन की गड़बड़ी दूर कर सकती है बल्कि गियर में आ रही समस्या से लेकर वाहन की हर समस्या को दुरुस्त कर सकती है।
इंदौर पिपलियाहाना क्षेत्र में यंत्रिका के नाम से संचालित किए जाने वाले गैराज में सिर्फ महिला मेकेनिक ही काम करती है। यंत्रिका को संचालित करने वाले राजेंद्र देशबंधु के मुताबिक जनवरी 2020 से महिला मैकेनिकों का गैराज शुरू हुआ है इसके बाद लॉक डाउन के कारण काम बंद था और अब वापस शुरू हो गया है।
समाजसेवी राजेंद्र देशबंधु की माने तो एक वाक्ये से प्रेरित होकर उन्होंने यंत्रिका की स्थापना की है। दरअसल, जब राजेंद्र देशबंधु की गाड़ी खराब हुई और उसका क्लच लिवर टूट गया था जिसके बाद वो उसे सुधरवाने के लिए एक गैराज पहुंचे। जहां 15 - 16 साल का लड़का काम कर रहा था वही उसी सड़क पर एक महिला झाड़ू लगा रही थी। इसके बाद महिला ने उन्हें बताया कि आस पास की दुकानो पर झाड़ू लगाने के बाद उसे 3 हजार रुपये प्रति माह मिलते है वही गैराज पर बैठे लड़के ने बताया कि वो हर रोज 500 रुपये कमा लेता है यानि महीने के 15 हजार रुपये। वही दोनों की शिक्षा 5 वीं तक थी इसके बाद देशबंधु को लगा कि जब दोनों की शिक्षा का स्तर समान है केवल महिला और पुरूष होने के कारण कमाई में अंतर है। लड़के को तकनीकी ज्ञान है जबकि महिला को नही। तब ही उन्होंने सोच लिया कि महिला को स्किल्ड बनाया जा सकता है जिसके महिला मेकेनिक के लिये ट्रेनिंग शुरू करवाई गई। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के पहले 190 महिलाओं को मेकेनिक के तकनीक कौशल की ट्रेनिंग दी थी जिनमे से 40 महिलाओं को सर्विस सेंटर पर रोजगार से जोड़ा था। वही लॉकडाउन के बाद कई महिलाएं शहर छोड़कर अपने मूल निवास स्थान पर चली गई थी। फिलहाल, 30 महिलाएं इंदौर में अलग सर्विस सेंटर पर काम कर रही है वही यंत्रिका के पिपलियाहाना और पालदा सर्विस सेंटर पर भी रोजगार के अवसर दिए गए है।
बता दे कि हाल ही में यंत्रिका की भारत सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत गर्ल्स काउंट नेटवर्क के देशभर के 6 राज्यों से महिला उद्यमियों को सम्मान किया था। जिसके बाद इंदौर से 5 महिला मैकेनिकों को दिल्ली ले जाया गया जहां गर्लकाउंट नेटवर्क के राष्ट्रीय आयोजन में समाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री रामदास अठावले द्वारा सम्मानित किया गया।
ये सम्मान पाकर वो बहुत खुश है इससे महिलाओं का उत्साह बढ़ा और कई प्रकार के ताने सुनने के बाद महिलाएं जिस मुकाम पर पहुंची उसके बाद पूरे इंदौर को उन पर गर्व है।
वही महिला मैकेनिकों की माने तो कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है। काम सीखने के दौरान सबसे पहले पति और परिवार वालो ने आपत्ति ली लेकिन जब परिवार पर मुश्किलें आई तो सभी मान गए। फिलहाल, काम करने के बाद अब उनके बच्चे भी स्कूल के साथ साथ कोचिंग भी जा रहे है और वो घर के अन्य खर्चो में भी अपना सहयोग दे पाती है। वही महिला मेकेनिको का ये भी मानना है कि सम्मान सोसायटी द्वारा जो काम सिखाया गया उसके चलते वो विपरीत परिस्थितियों में भी सम्मान के साथ काम कर रही है। वही केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के हाथों सम्मानित होना भी महिलाओं का गर्व के पल महसूस कराता है।
फिलहाल, इंदौर की महिलाओं ने ये बता दिया कि यदि मामूली सा भी सहयोग और सीख उन्हें मिले तो वो हर फील्ड में नम्बर 1 पर काबिज रहेगी जिसका ताजा उदाहरण यंत्रिका और अन्य सर्विस सेंटर्स पर काम करने वाली महिला मेकेनिक है।
इंदौर पिपलियाहाना क्षेत्र में यंत्रिका के नाम से संचालित किए जाने वाले गैराज में सिर्फ महिला मेकेनिक ही काम करती है। यंत्रिका को संचालित करने वाले राजेंद्र देशबंधु के मुताबिक जनवरी 2020 से महिला मैकेनिकों का गैराज शुरू हुआ है इसके बाद लॉक डाउन के कारण काम बंद था और अब वापस शुरू हो गया है।
समाजसेवी राजेंद्र देशबंधु की माने तो एक वाक्ये से प्रेरित होकर उन्होंने यंत्रिका की स्थापना की है। दरअसल, जब राजेंद्र देशबंधु की गाड़ी खराब हुई और उसका क्लच लिवर टूट गया था जिसके बाद वो उसे सुधरवाने के लिए एक गैराज पहुंचे। जहां 15 - 16 साल का लड़का काम कर रहा था वही उसी सड़क पर एक महिला झाड़ू लगा रही थी। इसके बाद महिला ने उन्हें बताया कि आस पास की दुकानो पर झाड़ू लगाने के बाद उसे 3 हजार रुपये प्रति माह मिलते है वही गैराज पर बैठे लड़के ने बताया कि वो हर रोज 500 रुपये कमा लेता है यानि महीने के 15 हजार रुपये। वही दोनों की शिक्षा 5 वीं तक थी इसके बाद देशबंधु को लगा कि जब दोनों की शिक्षा का स्तर समान है केवल महिला और पुरूष होने के कारण कमाई में अंतर है। लड़के को तकनीकी ज्ञान है जबकि महिला को नही। तब ही उन्होंने सोच लिया कि महिला को स्किल्ड बनाया जा सकता है जिसके महिला मेकेनिक के लिये ट्रेनिंग शुरू करवाई गई। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के पहले 190 महिलाओं को मेकेनिक के तकनीक कौशल की ट्रेनिंग दी थी जिनमे से 40 महिलाओं को सर्विस सेंटर पर रोजगार से जोड़ा था। वही लॉकडाउन के बाद कई महिलाएं शहर छोड़कर अपने मूल निवास स्थान पर चली गई थी। फिलहाल, 30 महिलाएं इंदौर में अलग सर्विस सेंटर पर काम कर रही है वही यंत्रिका के पिपलियाहाना और पालदा सर्विस सेंटर पर भी रोजगार के अवसर दिए गए है।
बता दे कि हाल ही में यंत्रिका की भारत सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत गर्ल्स काउंट नेटवर्क के देशभर के 6 राज्यों से महिला उद्यमियों को सम्मान किया था। जिसके बाद इंदौर से 5 महिला मैकेनिकों को दिल्ली ले जाया गया जहां गर्लकाउंट नेटवर्क के राष्ट्रीय आयोजन में समाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री रामदास अठावले द्वारा सम्मानित किया गया।
ये सम्मान पाकर वो बहुत खुश है इससे महिलाओं का उत्साह बढ़ा और कई प्रकार के ताने सुनने के बाद महिलाएं जिस मुकाम पर पहुंची उसके बाद पूरे इंदौर को उन पर गर्व है।
वही महिला मैकेनिकों की माने तो कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है। काम सीखने के दौरान सबसे पहले पति और परिवार वालो ने आपत्ति ली लेकिन जब परिवार पर मुश्किलें आई तो सभी मान गए। फिलहाल, काम करने के बाद अब उनके बच्चे भी स्कूल के साथ साथ कोचिंग भी जा रहे है और वो घर के अन्य खर्चो में भी अपना सहयोग दे पाती है। वही महिला मेकेनिको का ये भी मानना है कि सम्मान सोसायटी द्वारा जो काम सिखाया गया उसके चलते वो विपरीत परिस्थितियों में भी सम्मान के साथ काम कर रही है। वही केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के हाथों सम्मानित होना भी महिलाओं का गर्व के पल महसूस कराता है।
फिलहाल, इंदौर की महिलाओं ने ये बता दिया कि यदि मामूली सा भी सहयोग और सीख उन्हें मिले तो वो हर फील्ड में नम्बर 1 पर काबिज रहेगी जिसका ताजा उदाहरण यंत्रिका और अन्य सर्विस सेंटर्स पर काम करने वाली महिला मेकेनिक है।
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