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पूर्वी पाकिस्तान में जब 70 के दशक की शुरुआत में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर जुल्म शुरू हुआ, तो वहां से विस्थापित होकर शरणार्थी के तौर पर भारत आए हिंदू परिवारों को आज योगी सरकार ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें कृषि युक्त भूमि, आवास के लिए ज़मीन, घर बनाने के लिए पैसा और शौचालय देने के कागज़ात सौंपे. पांच दशक से मुश्किलों भरी ज़िंदगी जीने वाले ये बंगाली हिंदू आज की मदद पाकर ख़ुश भी हैं और भावुक भी.
बंगाली हिंदुओं को ज़मीन का पट्टा देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिंदू बंगाली परिवारों के पुनर्वासन के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 38 वर्षों की प्रतीक्षा दूर हुई, इन 63 परिवारों को कानपुर के रसूलाबाद में 2 एकड़ भूमि, 200 वर्ग मीटर ज़मीन, मुख्यमंत्री आवास, शौचालय मिल रहा है. 1970 से आए ये परिवार खानाबदोश का जीवन बिता रहे थे, हमने इन्हें पुनर्वासित करने का कार्य किया है. जिन लोगों को उनके देश में जगह नहीं मिल पाई, जहां के वो थे तो भारत ने उन लोगों के लिए दोनों हाथ फैलाकर उन्हें भारत में बसाने का काम किया.
'जुल्म हुआ और वो अपनी ज़मीन छोड़ने के लिए मजबूर हुए'
लखनऊ में पट्टा लेने के कार्यक्रम में आए कुछ बंगाली हिंदुओं से जब हमने बात की तो लोग मदद पाकर भावुक हो गए. नारायण चंद्र दास नाम के बुजुर्ग पुजारी की आंखों में अपनी दास्तान बताते हुए आंसू आ गए. उन्होंने बताया कि कैसे उन पर जुल्म हुआ और वो अपनी ज़मीन छोड़ने के लिए मजबूर हुए. इसके बाद 1970 में हस्तिनापुर में एक मिल में काम मिला, लेकिन 1984 में जब वो फैक्ट्री बंद हो गई, तो उसके बाद जीवन मुश्किल से भर गया. नारायण चंद्र दास, निर्मल गोलदार, मनोरंजन मजूमदार और सत्य नारायण की कहानी ऐसी ही है, जो 1970 में जुल्म सहते हुए शरणार्थी बनकर भारत आए और अब उम्मीद छोड़ चुके थे. आज योगी आदित्यनाथ को हर बंगाली हिंदू आशीर्वाद दे रहा है.
बंगाली हिंदुओं को यूपी सरकार की वजह से आज जो मदद मिली है, वो एक बड़ी पहल है, क्योंकि 1984 में हस्तिनापुर की फैक्ट्री बंद होने के बाद इन सभी परिवारों पर अस्तित्व का संकट आ गया था. आज ये सभी 63 परिवार 2 एकड़ जमीन पर कृषि करके परिवार का पेट भी पाल पाएंगे, अपनी 200 वर्ग मीटर ज़मीन पर एक लाख 20 हज़ार रुपये की मदद से घर भी बना लेंगे और घर में शौचालय भी होगा. ऐसे में सरकार की इस पहल ने इन बंगाली हिंदू परिवारों को मदद दी है, बल्कि उनके अस्तित्व पर मंडराए ख़तरे को भी ख़त्म कर दिया है.
पूर्वी पाकिस्तान में जब 70 के दशक की शुरुआत में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर जुल्म शुरू हुआ, तो वहां से विस्थापित होकर शरणार्थी के तौर पर भारत आए हिंदू परिवारों को आज योगी सरकार ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें कृषि युक्त भूमि, आवास के लिए ज़मीन, घर बनाने के लिए पैसा और शौचालय देने के कागज़ात सौंपे. पांच दशक से मुश्किलों भरी ज़िंदगी जीने वाले ये बंगाली हिंदू आज की मदद पाकर ख़ुश भी हैं और भावुक भी.
बंगाली हिंदुओं को ज़मीन का पट्टा देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिंदू बंगाली परिवारों के पुनर्वासन के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 38 वर्षों की प्रतीक्षा दूर हुई, इन 63 परिवारों को कानपुर के रसूलाबाद में 2 एकड़ भूमि, 200 वर्ग मीटर ज़मीन, मुख्यमंत्री आवास, शौचालय मिल रहा है. 1970 से आए ये परिवार खानाबदोश का जीवन बिता रहे थे, हमने इन्हें पुनर्वासित करने का कार्य किया है. जिन लोगों को उनके देश में जगह नहीं मिल पाई, जहां के वो थे तो भारत ने उन लोगों के लिए दोनों हाथ फैलाकर उन्हें भारत में बसाने का काम किया.
'जुल्म हुआ और वो अपनी ज़मीन छोड़ने के लिए मजबूर हुए'
लखनऊ में पट्टा लेने के कार्यक्रम में आए कुछ बंगाली हिंदुओं से जब हमने बात की तो लोग मदद पाकर भावुक हो गए. नारायण चंद्र दास नाम के बुजुर्ग पुजारी की आंखों में अपनी दास्तान बताते हुए आंसू आ गए. उन्होंने बताया कि कैसे उन पर जुल्म हुआ और वो अपनी ज़मीन छोड़ने के लिए मजबूर हुए. इसके बाद 1970 में हस्तिनापुर में एक मिल में काम मिला, लेकिन 1984 में जब वो फैक्ट्री बंद हो गई, तो उसके बाद जीवन मुश्किल से भर गया. नारायण चंद्र दास, निर्मल गोलदार, मनोरंजन मजूमदार और सत्य नारायण की कहानी ऐसी ही है, जो 1970 में जुल्म सहते हुए शरणार्थी बनकर भारत आए और अब उम्मीद छोड़ चुके थे. आज योगी आदित्यनाथ को हर बंगाली हिंदू आशीर्वाद दे रहा है.
बंगाली हिंदुओं को यूपी सरकार की वजह से आज जो मदद मिली है, वो एक बड़ी पहल है, क्योंकि 1984 में हस्तिनापुर की फैक्ट्री बंद होने के बाद इन सभी परिवारों पर अस्तित्व का संकट आ गया था. आज ये सभी 63 परिवार 2 एकड़ जमीन पर कृषि करके परिवार का पेट भी पाल पाएंगे, अपनी 200 वर्ग मीटर ज़मीन पर एक लाख 20 हज़ार रुपये की मदद से घर भी बना लेंगे और घर में शौचालय भी होगा. ऐसे में सरकार की इस पहल ने इन बंगाली हिंदू परिवारों को मदद दी है, बल्कि उनके अस्तित्व पर मंडराए ख़तरे को भी ख़त्म कर दिया है.
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