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राजस्थान में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टियां दो स्तर पर चुनाव लड़ रहीं हैं. एक मुद्दों के आधार पर, तो दूसरा जाति पर. अधिकतर राजनीतिक दल जातिगत समीकरण को देखते हुए ही चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. दरअसल, राजस्थान में जाति फैक्टर बहुत बड़ा है और यह कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित करता है. बात चाहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हो या फिर कांग्रेस की, दोनों ही दलों ने टिकट देते वक्त जातिगत समीकरण का काफी ध्यान रखा है. जिस सीट पर जिस पार्टी का उम्मीदवार है, वहां उसी वर्ग के उम्मीदवार को तवज्जो दी गई है. आइए जानते हैं दोनों दलों की स्थिति और किसने किस जाति को ज्यादा महत्व दिया है. राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं और यहां सबसे ज्यादा जाट और एससी-एसटी का दबदबा रहा है. इसके बाद राजपूतों का नंबर आता है. कांग्रेस और बीजेपी ने इसे ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं.
राजस्थान में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टियां दो स्तर पर चुनाव लड़ रहीं हैं. एक मुद्दों के आधार पर, तो दूसरा जाति पर. अधिकतर राजनीतिक दल जातिगत समीकरण को देखते हुए ही चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. दरअसल, राजस्थान में जाति फैक्टर बहुत बड़ा है और यह कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित करता है. बात चाहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हो या फिर कांग्रेस की, दोनों ही दलों ने टिकट देते वक्त जातिगत समीकरण का काफी ध्यान रखा है. जिस सीट पर जिस पार्टी का उम्मीदवार है, वहां उसी वर्ग के उम्मीदवार को तवज्जो दी गई है. आइए जानते हैं दोनों दलों की स्थिति और किसने किस जाति को ज्यादा महत्व दिया है. राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं और यहां सबसे ज्यादा जाट और एससी-एसटी का दबदबा रहा है. इसके बाद राजपूतों का नंबर आता है. कांग्रेस और बीजेपी ने इसे ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं.
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